प्रथम अराध्य भगवान गणेश के नाम से ही हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी नए कार्य की शुरुआत करता है. जयपुर में वैसे तो कई गणेश मंदिर हैं लेकिन अरावली पर्वत पर स्थित देश का पहला बिना सूंड वाले भगवान गणेश का मंदिर है. लोग गणेश चतुर्थी पर यहां के गणेश मंदिर में दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं. इस दिन दर्शन का बड़ा महत्व है. यह मंदिर गढ़ गणेश के नाम से प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि सवाई जयसिंह ने 18वीं शताब्दी में जयपुर की स्थापना के लिए गुजरात के से पंडितों को यहां बुलाकर अश्वमेध यज्ञ करवाया था और गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना की थी. फिर जयपुर शहर की नींव रखी गई. इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना उत्तरी दिशा की ओर की गई ताकि भगवान श्रीगणेश की निगाह पूरे रहेंगी और पूरे जयपुर पर उनका आशीर्वाद बना रहेगा.
500 फिट की ऊंचाई पर 365 सीढ़ियां चढ़ कर मंदिर तक जाना पड़ता है. हर रोज यहां भगवान गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पाबंदी है. आप बस भगवान के दर्शन कर सकते हैं ,इसलिए 300 सालों तक भगवान गणेश जी की कोई फोटो सामने नहीं आई.
मंदिर की निर्माण इस तरह करवाया गया कि सिटी पैलेस से खड़े होकर राजा हर रोज सुबह शाम मंदिर में आरती के दर्शन कर सके. पहाड़ी पर स्थित गढ़ गणेश, गोविंद देव मंदिर, सिटी पैलेस और अल्बर्ट हॉल को एक ही दिशा में एक दूसरे के समानांतर निर्माण करवाया गया, जिसे दूर से देखा जा सके.
गढ़ गणेश मंदिर की विशेष मान्यता
यहां पर भगवान गणेश के दर्शन करने वालों की भगवान गणेश में विशेष श्रद्धा है. नियमित आने वाले भक्तों का मानना है यहां भगवान गणेश को चिट्ठी लिखकर अपने मन की बात भगवान गणेश को बताते हैं और फिर उसे पुरी करने के लिए कहते हैं और साथ ही सात बुधवार लगातार दर्शन कर गढ़ गणेश से मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में सीढ़ियों से चढ़कर मुख्य प्रवेश द्वार पर दो चूहे भी स्थापित हैं, जिनके कान में भक्त अपनी इच्छाएं बता कर जाते हैं. चूहे उन इच्छाओं को बाल गणेश तक पहुंचाते हैं.
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