दिनाँक 06/10/2023, शुक्रवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन समाप्ति काल
तिथि--- सप्तमी 06:34:25 तक
पक्ष--------- कृष्ण
नक्षत्र--- आर्द्रा 21:30:30
योग------------ परिघ 29:29:08
करण-------------- बव 06:34:25
करण----------- बालव 19:16:37
वार---------------------- शुक्रवार
माह---------------------- आश्विन
चन्द्र राशि---------- मिथुन
सूर्य राशि------------ कन्या
रितु------------------- शरद
आयन----------- दक्षिणायण
संवत्सर-----------पिंगल
विक्रम संवत----------- 2080
शक संवत-------------- 1945
कलि संवत------------- 5124
सूर्योदय--------------- 06:15:15
सूर्यास्त---------------- 17:59:08
दिन काल------------- 11:43:52
रात्री काल------------- 12:16:38
चंद्रास्त---------------- 13:10:08
चंद्रोदय---------------- 23:23:14
लग्न---- कन्या 18°20' , 168°20'
सूर्य नक्षत्र-------------------- हस्त
चन्द्र नक्षत्र------------------- आर्द्रा
नक्षत्र पाया------------------- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
घ---- आर्द्रा 08:29:54
ङ---- आर्द्रा 14:59:05
छ---- आर्द्रा 21:30:30
के---- पुनर्वसु 28:04:01
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कन्या 18:30, हस्त 3 ण
चन्द्र=मिथुन 12:30 , आर्द्रा, 2 घ
बुध =कन्या 07 °:53' उ o फा o, 4 पी
शुक्र=सिंह 03°05, मघा ' 1 मा
मंगल=तुला 01°30 ' चित्रा' 3 रा
गुरु=मेष 19°30 ' भरणी , 2 लू
शनि=कुम्भ 07°50 ' शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मेष 01°20 अश्विनी , 1 चू
केतु=(व) तुला 01°20 चित्रा , 3 रा
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 10:39 - 12:07 अशुभ
यम घंटा 15:03 - 16:31 अशुभ
गुली काल 07:43 - 09: 11अशुभ
अभिजित 11:44 - 12:31 शुभ
दूर मुहूर्त 08:36 - 09:23 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:31 - 13:18 अशुभ
वर्ज्यम 34:39* - 36:25* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 06:15 - 07:43 शुभ
लाभ 07:43 - 09:11 शुभ
अमृत 09:11 - 10:39 शुभ
काल 10:39 - 12:07 अशुभ
शुभ 12:07 - 13:35 शुभ
रोग 13:35 - 15:03 अशुभ
उद्वेग 15:03 - 16:31 अशुभ
चर 16:31 - 17:59 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:59 - 19:31 अशुभ
काल 19:31 - 21:03 अशुभ
लाभ 21:03 - 22:35 शुभ
उद्वेग 22:35 - 24:07* अशुभ
शुभ 24:07* - 25:40* शुभ
अमृत 25:40* - 27:12* शुभ
चर 27:12* - 28:44* शुभ
रोग 28:44* - 30:16* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 06:15 - 07:14
बुध 07:14 - 08:13
चन्द्र 08:13 - 09:11
शनि 09:11 - 10:10
बृहस्पति 10:10 - 11:09
मंगल 11:09 - 12:07
सूर्य 12:07 - 13:06
शुक्र 13:06 - 14:05
बुध 14:05 - 15:03
चन्द्र 15:03 - 16:02
शनि 16:02 - 17:00
बृहस्पति 17:00 - 17:59
🚩होरा, रात
मंगल 17:59 - 19:01
सूर्य 19:01 - 20:02
शुक्र 20:02 - 21:03
बुध 21:03 - 22:05
चन्द्र 22:05 - 23:06
शनि 23:06 - 24:07
बृहस्पति 24:07* - 25:09
मंगल 25:09* - 26:10
सूर्य 26:10* - 27:12
शुक्र 27:12* - 28:13
बुध 28:13* - 29:14
चन्द्र 29:14* - 30:16
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
कन्या > 04:00 से 06:12 तक
तुला > 06:12 से 08:26 तक
वृश्चिक > 08:26 से 10:44 तक
धनु > 10:44 से 12:28 तक
मकर > 12:28 से 14:34 तक
कुम्भ > 14:34 से 16:06 तक
मीन > 16:06 से 17:32 तक
मेष > 17:32 से 19: 16 तक
वृषभ > 19:16 से 21:14 तक
मिथुन > 21:14 से 23:22 तक
कर्क > 23:22 से 01:44 तक
सिंह > 01:44 से 03:44 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान-------------पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 7 + 6 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अ शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
अष्टमी श्राद्ध
कालाष्टमी व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत
महालक्ष्मी व्रत समापन
सर्वार्थ सिद्धि योग 21:30 से
सप्तमी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन समाप्ति काल
पक्ष--------- कृष्ण
नक्षत्र--- आर्द्रा 21:30:30
योग------------ परिघ 29:29:08
करण-------------- बव 06:34:25
करण----------- बालव 19:16:37
वार---------------------- शुक्रवार
माह---------------------- आश्विन
चन्द्र राशि---------- मिथुन
सूर्य राशि------------ कन्या
रितु------------------- शरद
आयन----------- दक्षिणायण
संवत्सर-----------पिंगल
विक्रम संवत----------- 2080
शक संवत-------------- 1945
कलि संवत------------- 5124
सूर्यास्त---------------- 17:59:08
दिन काल------------- 11:43:52
रात्री काल------------- 12:16:38
चंद्रास्त---------------- 13:10:08
चंद्रोदय---------------- 23:23:14
चन्द्र नक्षत्र------------------- आर्द्रा
नक्षत्र पाया------------------- रजत
==========================
सूर्य= कन्या 18:30, हस्त 3 ण
चन्द्र=मिथुन 12:30 , आर्द्रा, 2 घ
बुध =कन्या 07 °:53' उ o फा o, 4 पी
शुक्र=सिंह 03°05, मघा ' 1 मा
मंगल=तुला 01°30 ' चित्रा' 3 रा
गुरु=मेष 19°30 ' भरणी , 2 लू
शनि=कुम्भ 07°50 ' शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मेष 01°20 अश्विनी , 1 चू
केतु=(व) तुला 01°20 चित्रा , 3 रा
यम घंटा 15:03 - 16:31 अशुभ
गुली काल 07:43 - 09: 11अशुभ
अभिजित 11:44 - 12:31 शुभ
दूर मुहूर्त 08:36 - 09:23 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:31 - 13:18 अशुभ
वर्ज्यम 34:39* - 36:25* अशुभ
चर 06:15 - 07:43 शुभ
लाभ 07:43 - 09:11 शुभ
अमृत 09:11 - 10:39 शुभ
काल 10:39 - 12:07 अशुभ
शुभ 12:07 - 13:35 शुभ
रोग 13:35 - 15:03 अशुभ
उद्वेग 15:03 - 16:31 अशुभ
चर 16:31 - 17:59 शुभ
रोग 17:59 - 19:31 अशुभ
काल 19:31 - 21:03 अशुभ
लाभ 21:03 - 22:35 शुभ
उद्वेग 22:35 - 24:07* अशुभ
शुभ 24:07* - 25:40* शुभ
अमृत 25:40* - 27:12* शुभ
चर 27:12* - 28:44* शुभ
रोग 28:44* - 30:16* अशुभ
शुक्र 06:15 - 07:14
बुध 07:14 - 08:13
चन्द्र 08:13 - 09:11
शनि 09:11 - 10:10
बृहस्पति 10:10 - 11:09
मंगल 11:09 - 12:07
सूर्य 12:07 - 13:06
शुक्र 13:06 - 14:05
बुध 14:05 - 15:03
चन्द्र 15:03 - 16:02
शनि 16:02 - 17:00
बृहस्पति 17:00 - 17:59
मंगल 17:59 - 19:01
सूर्य 19:01 - 20:02
शुक्र 20:02 - 21:03
बुध 21:03 - 22:05
चन्द्र 22:05 - 23:06
शनि 23:06 - 24:07
बृहस्पति 24:07* - 25:09
मंगल 25:09* - 26:10
सूर्य 26:10* - 27:12
शुक्र 27:12* - 28:13
बुध 28:13* - 29:14
चन्द्र 29:14* - 30:16
कन्या > 04:00 से 06:12 तक
तुला > 06:12 से 08:26 तक
वृश्चिक > 08:26 से 10:44 तक
धनु > 10:44 से 12:28 तक
मकर > 12:28 से 14:34 तक
कुम्भ > 14:34 से 16:06 तक
मीन > 16:06 से 17:32 तक
मेष > 17:32 से 19: 16 तक
वृषभ > 19:16 से 21:14 तक
मिथुन > 21:14 से 23:22 तक
कर्क > 23:22 से 01:44 तक
सिंह > 01:44 से 03:44 तक
दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अ शुभ कारक है l
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।